वार्षिक लेखन प्रतियोगिता कहानी:-3 दुर्लभ चीज़
दुर्लभ चीज़:-
"दुर्लभ" का अभिप्राय यदि हम जानने का प्रयत्न करते हैं, तो अर्थ सामने आता है, "वह वस्तु जिसे हम सरलता से प्राप्त नहीं कर सकते।"
वैसे तो मनुष्य को दुर्लभ वस्तुएं कम पसंद होती हैं। परंतु, एक सत्यता यह भी है कि फिर सरलता से प्राप्त वस्तु का महत्व हमें प्राप्त करने के पश्चात् नगण्य महसूस होता है। प्राणी जब किसी को प्राप्त करने में दुर्लभता का अनुभव करता है। तभी, सच्चे अर्थों में उसे उसका महत्व ज्ञात होता है, एवम उसे उस दुर्लभ अनुभव के कारण वह वस्तु अतिप्रिय भी प्रतीत होती है।
आज के परिवेश के अनुसार यदि बात की जाए तो "दुर्लभ चीज़" है, किसी का विश्वास प्राप्त करना। अतः किसी का विश्वास जीतना जितना दुर्लभ होता है, उतनी ही दुर्लभता से हमें लोगों एवम परिस्थितियों पर भी विश्वास करना चाहिए। ताकि सरलता से किसी पर भी किए गए भरोसे के मायने कदापि नगण्य ना हों।
Seema Priyadarshini sahay
10-Mar-2022 01:42 AM
सही कहा मैम
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Swati Sharma
10-Mar-2022 08:19 AM
धन्यवाद आपका
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Gunjan Kamal
09-Mar-2022 01:43 PM
सही कहा आपने मैम👌👏🙏🏻
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Swati Sharma
09-Mar-2022 03:01 PM
धन्यवाद
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Niraj Pandey
09-Mar-2022 11:44 AM
बहुत खूब
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Swati Sharma
09-Mar-2022 03:01 PM
शुक्रिया
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